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मनुष्य को अपना स्वरूप पहचानना चाहिए
विश्वास से कुछ भी संभव है
निष्काम कर्म का फल
आत्मा सदैव स्वतंत्र है
होनी तो हो के रहे
जो होता है अच्छे के लिए होता है
भगवत दर्शन हेतु दृढ़ इच्छा अतिआवश्यक है